निराशा से, तकलीफों से, दुःख से, असंतोष से, अपनी कुंठाओं से मानवता हार नहीं सकती। निराशा से, तकलीफों से, दुःख से, असंतोष से, अपनी कुंठाओं से मानवता हार नहीं स...
कहीं बदल न दी जाऊं मैं, सिलवट भरी चादर की भांति....! कहीं बदल न दी जाऊं मैं, सिलवट भरी चादर की भांति....!