शिक्षित समाज, ये सभ्य समाज,,, सब्जी-भाजी की तरह, लगती है जहाँ, आज भी… जिस्मों की म शिक्षित समाज, ये सभ्य समाज,,, सब्जी-भाजी की तरह, लगती है जहाँ, आज भी...
नशे में मैं भी हूँ, और तुम भी हो, और है ये दुनिया भी न क्यों मयखाना कहलाए, अभी से अब य नशे में मैं भी हूँ, और तुम भी हो, और है ये दुनिया भी न क्यों मयखाना कहलाए, अभ...