रूह बन जाते हैं यों कुछ खास लोग, फिर कहाँ सफ़र अधूरा वो रख पाते हैं। रूह बन जाते हैं यों कुछ खास लोग, फिर कहाँ सफ़र अधूरा वो रख पाते हैं।