थकहार कर जब मैं, गम से बोझिल हुआ मौत को पुकारा, पर उसने भी ना छुआ, थकहार कर जब मैं, गम से बोझिल हुआ मौत को पुकारा, पर उसने भी ना छुआ,
उसी पेड़ के इक पत्ते से मुझ पर एक ओस की बूंद आ गिरी है उसी पेड़ के इक पत्ते से मुझ पर एक ओस की बूंद आ गिरी है