तोड़ अपनी ही छत हमें क्या मिलेगा ? हर टुकड़े से केवल यहाँ लहू गिरेगा , तोड़ अपनी ही छत हमें क्या मिलेगा ? हर टुकड़े से केवल यहाँ लहू गिरेगा ,
कुल्हाड़ी तन पर चलेगी आज हरी हूँ मैं कल पीली हो जाऊँगी मैं। कुल्हाड़ी तन पर चलेगी आज हरी हूँ मैं कल पीली हो जाऊँगी मैं।