दिनकर अस्त भले हो जाए लेकिन मरा नहीं करता है। दिनकर अस्त भले हो जाए लेकिन मरा नहीं करता है।
बुझती नहीं ये प्यास, मिथक में इस जीवन के, भरने को यह आधा ग्लास। बुझती नहीं ये प्यास, मिथक में इस जीवन के, भरने को यह आधा ग्लास।
घर के आँगन में मुसाफिर सा हूँ, नाराज मुझसे मेरे ही आशियाने की चारपाई है। घर के आँगन में मुसाफिर सा हूँ, नाराज मुझसे मेरे ही आशियाने की चारपाई है।