क्यों ना खुलकर हम भी जी लें एक बार, जाने फिर कभी कल हो ना हो क्यों ना खुलकर हम भी जी लें एक बार, जाने फिर कभी कल हो ना हो
गीत भरी इस जिंदगानी में कई अनसुने तराने कह गए।। गीत भरी इस जिंदगानी में कई अनसुने तराने कह गए।।