होकर अधीर आदमी, चित्त संतुलन खोए भांति अग्नि दहक उठे, ज्ञान विस्मृत होए! होकर अधीर आदमी, चित्त संतुलन खोए भांति अग्नि दहक उठे, ज्ञान विस्मृत होए!