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ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

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कभी आसान तो, कभी मुश्किल लगती ज़िन्दगी।
कभी खुश तो, कभी न खुश लगती ज़िन्दगी।         कभी अपने लिए तो, कभी अपनों के लिए जीती ज़िन्दगी।                                               कभी खामोशी तो, कभी लफ्ज़ बन जाती ज़िन्दगी।
कभी ज़ख्म तो, कभी मलहम बन जाती ज़िन्दगी।
कभी डरी हुई तो, कभी बेफिक्र लगती ज़िन्दगी।   कभी दुआ तो,कभी फरीयाद लगती ज़िन्दगी।               कभी-कभी गुलज़ार लगती है ये ज़िन्दगी।


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