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ज़िन्दगी की डायरी से

ज़िन्दगी की डायरी से

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ज़िन्दगी के डायरी से कुछ पल चूरा लूँ,               मैं बीते हुए कल से कुछ पल चूरा लूँ

भीगे पत्तों की डाली से गुज़रे वक्त की चादर से     कुछ चादर पर पड़ी सलवटें चूरा लूँ

ज़िन्दगी के डायरी से कुछ पल चूरा लूँ

बारिश की बूंदें जो खेतों में पहली बार पड़ी थी, जिससे हंसी की किलकारी पूरे गाँव में गूँज उठी थी, मैं उस हँसी से कुछ खुशी चुरा लूँ               ज़िन्दगी की डायरी से कुछ पल चूरा लूँ

गुज़री हुई अच्छी यादें, जो दिल की संदूकों में कहीं कैद हो गयी,                                       आज उस संदूक की पोटली खोलकर खुशी के बहाने चूरा लूँ

ज़िन्दगी के डायरी से कुछ पल चूरा लूँ,               मैं बीते हुए कल से कुछ पल चूरा लूँ


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