यही एक मार्ग तुम्हे बचायेगा बस
यही एक मार्ग तुम्हे बचायेगा बस
बस कुछ त्रैमास पूर्व
तुम को लगता था ना
कि तुम ही सर्वस्व हो
सब कुछ तुम ही से है
कि तुम ही सब कुछ हो
तुम ही घर चलाते हो
तुम ही वंश चलाते हो
तुम ही गाँव
और तुम ही देश दुनिया चलाते हो
तुम जैसा चाहो वैसा ही हो
और होता रहा भी
तो तुम खुद को
भगवान समझ बैठे
है ना
फ़िर मैं आया
चुपके से
और सारा खेल बदल गया
मैं आया ये बताने
कि जब जीवन और मृत्यू
तुम्हारे हाथ में नहीं
तो क्या उसके बीच का घटनाक्रम
मैं यूँ ही सौंप दूँगा तुम्हे
तुम्हारी मनमानी करने के लिये
नही, ऐसे नहीं करता मैं
कुछ वर्षों में एक बार
अपनी मनमानी करता हुँ मैं
तुम्हारी मनमानी नकारता हुँ मैं
तुम्हारी होनी को अनहोनी करता हुँ मैं
हाँ, ईश्वर हुँ मैं
इस पृथ्वी का कर्ता धर्ता भी
और काल रचयिता भी
ना केवल तुम्हारी खोजें
परंतु तुम्हारा ज्ञान, विज्ञान
अणु, परम अणु
और तुम्हारे सारे आविष्कार
मेरी दी बुद्धि की ही तो देन हैं
कुछ समय
तुम्हारे हवाले क्या कर दी पृथ्वी
और कुछ शक्तियों का स्वामी
तुम्हें क्या बना दिया
तुम तो स्वयं को मैं ही समझने लगे
और जब की मुझे आज भी
अधिक समय नहीं लगा
तुम्हें ये जताने में
की तुम महज़ एक कठपुतली हो
जिसकी डोर मैने
अपने हाथों में रखी है
फ़िर भी तुम अपनी
हरकतों से बाज़ नहीं आये
अभी भी तुम आंखें मीचे बैठे हो
अभी भी तुम्हारा औरों से
पद में ओहदे में
पैसों से शक्ती से
ऊंचे होने का घमंड
तुम्हें छोड़ नहीं रहा
ना ही तुम
इस त्रासदी इस महामारी से
कुछ भी सीख रहे हो
अब भी तुम
मार रहे हो काट रहे हो
नोच खसोंट रहे हो
मेरी बनायी सृष्टि को
मेरे बनाये जीव जन्तुओं
पशु पक्षी
और मनुष्यों को
पर याद रखना
मैं भी बहुत काबिल शिक्षक हुँ
जब तक सीख नहीं जाते
सही ढंग से जीना तुम
मैं हार नहीं मानूँगा
और फ़िर, अपनी कलाकृति को
कैसे और किन रंगों से सजाना है
बनाना है या मिटाना है
ये मुझे भली भान्ति ज्ञात है
तुम देखोगे
इसी वर्ष में
अपने ही सामने
न्याय होते
जिन्हे आज ऊंचाईयों की आदत है
उन्हे पाताल की गहरायी नापते
जो अभी शोषित हैं
उन्हे कल फलते फूलते
और हसते मुस्कुराते
जो समझ गये
कि ये दौर है
समानता का, बराबरी का
अनेकता में एकता
और समभाव का
सबको साथ ले के चलने का
सब का सम्मान करने का
सब को जीने देने का
सब का मान रखने का
हृदय में सबके प्रती उदार भाव रखने का
देखना तुम वो ही पनपेँगे
वो ही सुखी और संपन्न रहेंगे
बाकी तुम स्वयं समझदार हो
मैं और ये महामारी
अपना अपना काम
कर ही रहे हैं ना
और इसके आगे
अभी तक तो
संसार की कोई भी शक्ती
जीती नहीं है
इसलिये कहते हैं
कि जब परिस्तिथि विरुद्ध हो
सारे प्रयास विफल
और सारे गुणा भाग बेअसर हों
तो शान्ती से सुमार्ग की ओर
अग्रसर हो जाओ
अपना कर्म करो बस
और स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो
क्यूँकी ऐसे समय में
यहीं एक मार्ग तुम्हे सुहायेगा बस
यही एक मार्ग तुम्हे रास आयेगा बस
यही एक मार्ग तुम्हे बचायेगा बस
वस्तुतः गीता में भी तो
मैने यही कहा था ना हे पार्थ
तुम भूल गये शायद
सोचा थोड़ा याद दिला दूँ बस
