ये तो है ही... .
ये तो है ही... .
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ये तो है ही...
हमें बदलना नहीं है ..
पर दूसरों से उम्मीद ज्यादा रखते है ..
जभी किसी की इज्जत यहाँ लुटती है
तभी सब साला भाई बन जाते हैं
बस उस एक दिन के लिए
सोशल मीडिया बनावट हमदर्दी के,
बिकाऊ सितारे चमकते हैं
उसी दिन मोमबत्ती ले के बुझ भी जाते हैं
ये तो है ही...
अच्छाई का ढोंग करते है जनाब,
नहीं तो यहाँ कोई पीडित नाही होता
ये तो है ही...
उस परिवार की दुनिया लूट जाती है
हर बाप के लिए बेटी बोझ बन जाती है ..
ये कानून बना दो ओ कानून बना दो..
सब छोडो खुद मत बदलो..
