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अजय एहसास

Others

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अजय एहसास

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वो लोग अब नही मिलते

वो लोग अब नही मिलते

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शाम को साथ बैठने वाले, अपने अनुभव बांटने वाले

रात को देर में सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले

बिना पनही चलने वाले, भोर में घुमने वाले

बिना जूते अब नही चलते, वो लोग अब नही मिलते।


आंगन की तुलसी को पूजने वाले, पूजा के लिए डांटने वाले

पौधों को नि:स्वार्थ पानी देने वाले, पूजा के बाद प्रसाद बांटने वाले

पैदल मन्दिर जाने वाले, मन्दिर में प्रात: भजन गाने वाले

अब कानों में ईयरफोन दे चलते, वो लोग अब नही मिलते।


सबको राम राम कहने वाले, बिना पहचान के पहचानने वाले

सबका सुख-दुख पूछने वाले, सबके बारे मे सोचने वाले

पालथी मारकर खाने वाले, पूजा बगैर भोजन न करने वाले

अब लोग खड़े खड़े खाते हुए चलते, वो लोग अब नही मिलते।


सिर पर हाथ फेरने वाले, रिश्तों में पहुंचते ही घेरने वाले

बिना घबराये मुसीबत झेलने वाले, गुल्ली डण्डा कबड्डी खेलने वाले

तीज त्यौहार में ईश्वरीय गुणगान करने वाले, मेहमानों का बखान करने वाले

रिश्तों का अपमान आज समाज में करते, वो लोग अब नही मिलते।


पुराने फोन पर मोहित होने वाले, फोन नम्बर डायरी में नोट करने वाले

समाचार पत्र कई बार पढ़ने वाले, रांग नम्बर पर भी बात करने वाले

अमावस्या-पूर्णिमा को दान करने वाले, एकादशी को याद रखने वाले

आज वैलेन्टाइन डे नही भूलते, वो लोग अब नही मिलते।


खेत-खलिहान गुलजार करने वाले, गुजरे जमाने की बात करने वाले

नाड़ी पकड़ रोग बताने वाले, रोगों का घरेलू उपचार बताने वाले

समाज का डर पालने वाले, पुरानी चप्पल टूटे चश्मे फटी बनियान वाले

लोग हर सामान का अब ब्रांड पूछते, वो लोग अब नही मिलते।


सिर पर साफा बांधने वाले, तन पर कमीज धोती तानने वाले

टायर के चप्पल चश्मे में रस्सी वाले, चप्पल में रस्सी साल अस्सी वाले

जागरण के शौकीन कानों में लुरकी वाले, खुले दरवाजे खुली खिड़की वाले

फिर भी हम खोने का एहसास नही करते, वो लोग अब नही मिलते।


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