वैराग्य
वैराग्य
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हृदय के भाव उमड़ गए
बनकर मेघ बरस गए..
सोचा था बहुत पर भटक गए;
गुरु शरण में आकर बस गए;
चरणों में समर्पित हो गए..
पर रह - रह कर मन की व्याकुलता में
तूफान न पल भर शांत हुआ।
परमात्म सिद्धि प्राप्त हो जाए
अंत में जागृत ज्ञान हुआ,
क्यों न तप कर आत्मा मुक्त हो जाए,
सिद्धों में जाकर सिद्ध हो जाए।
