ट्रक के पीछे वाला साहित्य
ट्रक के पीछे वाला साहित्य
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कुत्ते भी नहीं समझते मार से
दुम होती है सीधी दुलार से
आगे क्या कहूँ मालिक
देखो मगर प्यार से।
वो पीछे पड़ी थी मैं आगे आगे था
उसे कुल्फी की तलब
मेरे हाथ मे पौआ था
आँख खुली तो देखा कौआ था ?"