तिरंगे का सम्मान, देश का अभिमान
तिरंगे का सम्मान, देश का अभिमान
आहत मेरा मान, खंडित स्वाभिमान हो जाता हैं,
हृदय करुण रुदन से भर जाता हैं,
फटे कागज़ के टुकड़ों को तो रिजर्व बैंक बदल देता है,
पर तिरंगा सड़कों की धूल फांकता है।
मेरे नन्हे देशभक्त चलते हैं तिरंगा हाथ में लेकर,
सपना मेरा साकार हो जाता है,
पर, जब अगली सुबह वो तिरंगा तार-तार हो जाता है,
आहत मेरा मान, खंडित स्वाभिमान हो जाता है,
वो छाती से लगा कर रखते हैं कागज़ के टुकड़ों को,
पर तिरंगा छत पर अविराम रह जाता है।
पन्द्रह अगस्त, छब्बीस जनवरी को खून खूब हिलोरे मारता है,
हर तरफ तिरंगा ही लहराता है
अगली सुबह तीन रंगो से पटा मंच रह जाता है,
आहत मेरा मान, खंडित स्वाभिमान हो जाता है,
जब तिरंगा झाडू से हटाया जाता है।
वो गाड़ी पर लिखा कर घूमते है…. आय लव माइ इंडिया,
जिन पहियों तले तिरंगा रौंदा जाता है।
तुम क्या सिखाओगे नई पौध को?
जिसे इस्तेमाल करो और फेंको तिरंगा दिलाया जाता है,
आहत मेरा मान, खंडित स्वाभिमान हो जाता है,
रैली में तिरंगे की ओट में देश-प्रेम दिखाने वालों...........
वही तिरंगा फिर कोनों से सटा दिया जाता है।
नहीं होती देश-भक्ति पूरी, जब तक तिरंगे का सम्मान नहीं सिखाया जाएगा,
नई पौध में तिरंगे का अभिमान भरा नहीं जाएगा,
मलिन होता रहेगा भारत माँ का आंचल,
जब तक.......
रंगा, पतंग और कागज का टुकड़ा समझ कर फेंका जाएगा।