तिरंगा
तिरंगा
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यूं ही नहीं लहराता तिरंगा
कुछ बलिदान भी
संग में जुड़ते हैं
कुछ गुमनाम वीर भी है
जो लहू से केसरिया सजाते हैं
हर बलिदानी की मुस्कान को देख
तिरंगा भी बलखाता है
लहराता है तिरंगा और जोर से
शहीद अमर गर्वित हो जाता है।