आनन्द बल्लभ
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काव्य कला गुण हीन विहीन कुसंग सुसंग वरो कविताई ।
या मतिहीन निकृष्ट मलीन कुलीन करो व हरो पतिताई ।
अम्ब दया का पयोनिधि मथ बरसा सुरभोग करो पविताई ।
जीवन में शुभ छन्द रचूँ व मिटे तम तोम भरो सविताई ।
सवैया
करनी का फल
वृक्ष
पेड़ सौ हर दि...