ज़िन्दगी तो मिल रही हर रोज पर गमों की इसमें कुछ ज्यादा मिलावट है। ज़िन्दगी तो मिल रही हर रोज पर गमों की इसमें कुछ ज्यादा मिलावट है।
बल्कि, “किसी के द्वारा, कुचली हुई कली को पता है। बल्कि, “किसी के द्वारा, कुचली हुई कली को पता है।