संस्कृतिकरण का अनोखा जहर देखा
संस्कृतिकरण का अनोखा जहर देखा
गौरवमयी संस्कृति को लांघकर
हम पश्चिमी सभ्यता की ओर
विलासिता से बेहताशा भागे जा रहे हैं
आत्मीय बन्धन को तोड़कर
दिल के रिश्तों पर जोर दे रहे हैं
फीकी पड़ी त्यौहारों की रौनक
नेह स्नेह को भी विध्वंस कर रहे है
हम सयुक्त थे आज एकल हो गये
आई ऐसी आंधी हम भरोसा खोते रहे हैं
मन्दिर मजिस्द दिखावा मात्र
हम डिस्को क्लब से दिल लगा रहे हैं
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पाश्चात्य सभ्यता का हुआ ऐसा असर
चलते घूंघट उठाकर अपनी शान समझकर
बेच दी लज़्ज़ा अर्धनग्न चीर धारण कर
सब खुला कर दिया खुले विचारों में बहकर
जो पसन्द नहीं आया उसे दरकिनार कर दिया
जो रास आया उनसे भागकर ब्याह रचा लिया
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संस्कृतिकरण का अनोखा जहर देखा
जिधर देखा वहां गाँव में शहर बसा
रिश्तो का क्या है वो तो चलते चलते बना
जो साथ चला तो उसे तार तार कर बेचा
पैसो के बदले मानवता का क्या वजूद
जो भी थी उसे वही छोड़कर भागा
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अपनी प्राचीन शिक्षा पद्धति को छोड़कर
हम अपने भावी पीढ़ी को पूर्ण अंग्रेज बना रहे हैं
धर्म ग्रन्थों से मुँह मोड़कर
हम लव लेटर की भाषा लिख रहे हैं
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पाश्चात्य संस्कृति के अनुसरण से
मानव की मानवता का ह्रांस हुआ
मनुष्य की नैतिकता का पतन हुआ
पुनः सींचना हैं नव पीढ़ी को नव संस्कारो से
पुनः नव निर्माण करना है विरासत से सज्ञान से
