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Parikshita Nalwade

Others Tragedy

4.0  

Parikshita Nalwade

Others Tragedy

समाज से अलग – कइयों की पहचान

समाज से अलग – कइयों की पहचान

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डर लगता है समाज में अलग लगने से

डर लगता है मां बाप से दूर होने में

डर लगता है दोस्तों से बिछड़ जाने से

डर लगता है दिल की बात जुबां पर लाने में

क्या हो अगर मेरी चाहते समाज से अलग हों

क्या हो अगर मेरी ख्वाहिशें समाज से अलग हों

क्या हो अगर मेरा वजूद समाज से अलग हों 

क्या हो अगर मेरी पसंद समाज से अलग हो 

डर लगता है समाज में अलग लगने से

डर लगता है अपनो से ही ठुकराए जाने से


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