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Manasvi Sharma

Others

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Manasvi Sharma

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सिखा दो

सिखा दो

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इस दुनिया में कोई मुझे

रहना सिखा दो


एक गगन है यहाँ

उसे सम्भलना सिखा दो


एक बूंद चल रही

दूर हो रही

उसे फिर बुलाना कोई तो सिखा दो


एक-दूसरे का हाथ पकड़े

रहना कोई सिखा दो


धूप में बलखाता है

झूमे जाता है

इस पत्ते को कोई अपने घर पहुँचा दो


इस दुनिया में कोई मुझे

रहना सिखा दो।


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