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शिव के ब्याह की रात

शिव के ब्याह की रात

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शिव के ब्याह की रात 
बरस रहा है झम झम पानी 
आज मिलेंगे अर्धांगिनी से 
बनेंगे अर्धनारीश्वर 
मेरा मुझसे छूट गया 
लेखा कैसे रूठ गया

जाने कितनी बार गौरी को मनाया था 
मुझे हठी बालक की तरह परे कर बैठी

सन्न सी बैठी हूँ 
न रोने को जी चाहता है, न सोने को जी चाहता है 
शिव के ब्याह कि रात है 
बरस रहा है झम झम पानी 
आज अर्धांगिनी से मिलेंगे

 

 


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