Deepak Shrivastav

Abstract

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Deepak Shrivastav

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सेवानिवृति का सुख

सेवानिवृति का सुख

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सरकारी अधिकारी 

जिस दिन सेवानिवृत होता

सब बधाई देते

सब स्वागत करते

पार्टियां देते

फेयरवेल होता

साफे बंधते


पुष्पगुच्छ देते पुष्पमाला पहनाते 

जो कळ तक साहब के विरुद्ध

योजना बनाते वही आज 

बढ़ाई के क़सीदे पढ़ते

सरकारी सेवा के अंतिम दिन

साहब का रुतबा कुछ विशेष होता


सबसे प्यार से सब कुछ समझाते

कल तक जो पत्रावली

महत्वपूर्ण नहीं है कहकर किनारे करते

आज उसे सबसे पहले निपटाते

नोटशीट पर अपने अंतिम

हस्ताक्षर करते विशेष इतराते

यही सब दिन भर करते

शाम का इंतजार करते


कुछ अधिकारी सरकारी 

उत्तम सेवा का इनाम पुनः 

सेवा वृद्धि पा कर अन्य किसी की सेवा में जाकर

एक उदाहरण बनते उनके लिए जो कुछ नहीं करते 


सरकारी सेवा के अंतिम दिन

के अंतिम सुख का आनंद लेते 

सरकारी गाडी में अंतिम

सरकारी सेवा का उपभोग करते

घर को आते, शान दिखाते 

घर पहुँचते


पत्नी, बच्चे, मित्र, रिश्तेदार, और पड़ोसी स्वागत करते

पत्नी आरती उतारती

साहब बहुत खुश होते

मन ही मन मुस्कराते

ख़ुशी जताते

जीवन की दूसरी पारी की अच्छी


शुरुआत हो सबकी शुभकामनायें स्वीकार करने का आंनद पाते

रात सुख शांति ख़ुशी से भरे सपनो

में बीतती

सुबह देर तक सोने का

किसी जल्दबाजी का

नहाने, खाने कार्यालय नहीं जाने

जिओ शांति से, मस्ती से, ऐश से

सिद्धांत को प्रतिपादित करते

जीवन के शेष समय का आनंद लेते


खुशी से नाती पोती, बेटे बेटी के साथ मस्ती मौज मनाते

यारों दोस्तों मित्रों का निसदिन आवाहन करते 

सुबह पैदल चलने, योगा करते

आराम से घर को आते

नहीं कोई बोझ नहीं कोई चिंता की ख़ुशी मनाते

कभी बेटे कभी बेटी के साथ रहने का

सुख पाते


जीवन के शेष उम्र का आनंद बढ़ाते

घूमते घुमाते जीवन बिताते

यही सेवानिवृत होने के पश्चात के सुख का

सभी को वृत्तांत सुनाते

सभी को वृत्तांत सुनाते 

सभी सेवा निवृत अधिकारीयों को समर्पित।


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