सब सही है
सब सही है
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जो यहाँ है वहां भी वही है,
सच हो या झूठ सब सही है।
रास्तो पर नाखूनों के निशान है,
चीख हो या गुनाह सब यही है।
लड़खड़ाती भीड़ का इन्साफ है
तो अकेले का कारवां भी यही है।
जानते हुए भी अनजान बनते है
ये वाला कारोबार भी यही है।
न्याय की गुहार लगाते कुछ बेबस है,
उनके चेहरे पर तेज़ाब छिरकने वाले भी यही है।
अब कौन याद रखे इन बातों को
भुलाने वाले सत्ता के साहूकार भी यही है।
खैर सच हो या झूठ सब सही है
ऐसा कहने वाले फनकार भी यही है।
