सावन
सावन
मन चंचल सा हो जाता है, सावन तेरे आ जाने पे
सबकुछ शिवमय हो जाता है सावन तेरे आ जाने पे
देखो नन्ही सुकुमार कली, पुलकित हो बाट निहार रही
अब बरसोगे तब बरसोगे, ब्याकुल हो तुझे पुकार रही
कण कण मुकुलित हो जाता है, सावन तेरे आ जाने पे
सबकुछ शिवमय हो जाता है , सावन तेरे आ जाने पे
मन चंचल. . .
मदमस्त कावड़िया झूम रहा, शिव धुन के अगणित गीतों पर
सारा जग शिव को रिझा रहा , अपने अपने शिव गीतों पर
धरती पे स्वर्ग उतर आता, सावन तेरे आ जाने पे
सबकुछ शिवमय है हो जाता, सावन तेरे आ जाने पे
मन चंचल . . .
कोई व्रत करता प्रिय पाने को, कोई चाहे रहे सुहाग अमर
जन्मों से हो प्यासे जैसे, भटकें वन बाग तड़ाग भ्रमर
मधुकर को मधु है मिल जाता, सा...वन तेरे आ जाने पे
सबकुछ शिवमय है हो जाता, सा...वन तेरे आ जाने पे
मन चंचल. . .