STORYMIRROR

Pawan Kumar

Others

2  

Pawan Kumar

Others

साथी

साथी

1 min
173

ढलता सूरज है हर शाम,

करके हवाले चाँद को उसके काम l


बिखरी चांदनी में शम्मे-मोहब्बत जलती हैं,

और धुआं जज़्बा-ए-इश्क़ की उठती है l


लाता सूरज नयी सुबह है हर रोज,

हर रात बना के चाँद को फ़िरोज़ l



Rate this content
Log in