हालात
हालात
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बिखरे थे टूट कर यूँ,
कि समेटे न जा सके
कैसी हवायें चली थी उस वक्त?
अतीत के पन्ने भी पलटे ना जा सके l
और ना कहर बरपाओ जुल्म होगा,
देखी है तेरी जुर्रत मुझसे परे होगा
कर दो मुकम्मल जहाँ मेरा,
अब तेरा हुक्म ही मेरा किरदार होगा l