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Pawan Kumar

Others

3.0  

Pawan Kumar

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हालात

हालात

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बिखरे थे टूट कर यूँ,

कि समेटे न जा सके

कैसी हवायें चली थी उस वक्त?

अतीत के पन्ने भी पलटे ना जा सके l


और ना कहर बरपाओ जुल्म होगा,

देखी है तेरी जुर्रत मुझसे परे होगा

कर दो मुकम्मल जहाँ मेरा,

अब तेरा हुक्म ही मेरा किरदार होगा l


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