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Neetu singh Anjali

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Neetu singh Anjali

साँवरे

साँवरे

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नव पल्लव शोभा,

निरखत है,

पद अरूण कमल,

जस शोभित है ।


लाल अनारसम दन्त,

पंक्ति विराजत है,

अक्षि खञ्जन नेत्र,

सम राजत है ।


पंख मयूर की शोभा,

अतुलित सिर,

विराजत है ।


बाँसुरी हाँस कमर,

धरि के पीत पटा,

उन अंग में सोहै ।


बैजन्ती उर शोभित,

ऐसो ब्रजाधीश कान्हा,

मन मोहन रूप,

बनावत है ।


नित मंगल करै,

सबै एहि निमित्त,

शीश झुकावत है ।


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