STORYMIRROR

Brij Kumar

Others

4  

Brij Kumar

Others

रक्षा सूत्र

रक्षा सूत्र

1 min
391


भ्रात बहिन का प्रेम परस्पर,

सदा सर्वदा स्थाई।

भौतिक परिवर्तन के संग ही,

इसमें भी कमियां आयीं।।


पले बढ़े संग मे ही खेले,

पल में रुठे पल में प्यार।

उम्र बढ़ी शिक्षा दीक्षा संग,

बस गये दोनों के परिवार।।


यादों का वह तारतम्य,

बातों वादों तक आ पहुंचा।

रिश्ता दो धागों का बंधन,

दूरध्वनि के संग पहुंचा।।


हृदयांस बहिन भाई दोनों,

आज प्यार अति बरसेगा।

दूर बसा परदेशी भाई,

बहना के हित तरसेगा।।


छोड़ सभी गिले शिकवे,

रहें अग्रसर प्रेम राह पर।

काल खंड का नहीं पता,

कब क्या हो जाये किस पल।


प्रेम पर्व पर प्रेम पथिक,

सदा अग्रसर रहते हैं।

प्रेम का कोई जोड़ नहीं,

सभी विद्व जन कहते हैं।।


कण कण में स्नेह बरसता,

परिवेश प्रभावी उल्लासित।

उत्साह प्रेम की रव चलती,

बहनें घर आती उत्साहित।।


भ्रात बहिन का प्रेम यूं ही,

सदा सर्वदा अमर रहे।

प्रेम की धारा बहे निरंतर,

जब तक भी यह श्रृष्टि चले।।



Rate this content
Log in