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Brij Kumar

Others

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Brij Kumar

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जीवन पथ

जीवन पथ

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मानव जीवन का सफर कठिन, 

     यह राह बहुत पथरीली है।

फूलों की यह सेज नहीं,

     अनजानी और कंटीली है।।


कल का है कुछ पता नहीं,

     कर्म क्षेत्र में बढ़ना है।

पथिक निरंतर पथ पर चलकर,

   यात्रा पूरी करना है।।


ठोकर लगे तो सीख लीजिए,

    देख समझ कर चल आगे।

खत्म करे दीपक अंधियारा,

    सुबह तभी हो जब जागे।।


पथिक निराश न होना तुम,

     संघर्ष बहुत है जीवन में।

तुम बढ़ कर आगे आओ,

    नव पुष्प मिलेंगे उपवन में।।


एक द्वार यदि बन्द हुआ,

    नव राह तुम्हें मिल जायेगी। 

सोंच धनात्मक तुम रखना,

   नव रश्मि रोशनी लगायेगी।।


पथ में बाधाएं होंगी पर,

   पार तुम्हें करना होगा।

मुरझाई कलियों में फिर से,

   नव मधुरस भरना होगा।।


हर मानुष की यही है गाथा,

    कोई सुखी नहीं जग में।

चिड़िया भी इस पेट की खातिर,

    उड़ती ऊंचे अम्बर में।।


मंजिल पाकर भी खुशियों का,

   पारावार नहीं होगा।

जो है प्राप्त वही पर्याप्त,

    कोई अवसाद नहीं होगा।।


कष्ट न हो दूजे को तुमसे,

    अगर भला न तुम करना।

सभी सुखी, सम्पन्न, स्वस्थ हों,

    प्रभु से यह विनती करना।।




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