रचनाकारों की जननी
रचनाकारों की जननी
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हिंदी है नाम मेरा
मैं कबीर, रहीम, खुसरो की पहेली
प्रेमचंद ने बुलंदी का सफर मुझे सिखाया
निराला ने अस्तित्व का आइना दिखाया।
दिनकर ने सजाई ख्वाबों की हवेली
सुमित्रा नंदन पंत कहते हैं मुझे अपनी सहेली
सुभद्रा कुमारी ने दिलाए मुझे दुनिया में सहारे
महादेवी ने दिखाए दुनिया की हकीकत के नज़ारे।
शिवानी, अमृता ने सजाई मेंहदी से बेरंग हथेली
सबने मिलकर बना दिया मुझे रंगीली सजीली
सदियों पुरानी हूं, पर इनकी इनायत से
आज भी हूं दुल्हन नई नवेली।
जिसे याद रखेंगी सारी पीढ़ियां
पिछली और अगली।
