प्यार का शमां
प्यार का शमां
मुद्दत बाद तेरे हसीं चेहरे का दरश कर पाया हूं
तुम न जानो दिल में कितना ही सुकून पाया हूं
खिल उठीं अलसायी कलियां ज्यों रश्मि पाकर
अर्से बाद ऐसा खूबसूरत एहसास कर पाया हूं
तेरी खिदमत में कोई गीत लिखूं या फिर ग़ज़ल
लेखनी को अपने अब तक नहीं समझा पाया हूं
बदलने लगे हैं अब मौसम का भी मिजाज देखो
खुद के ज़ेहन में नव उमंग की तरंग भर पाया हूं
हर्ष से हिय सुमन खिल उठा मन भी भावुक है
नयनों के कोरों में नवीनतम स्वप्न संजो पाया हूं
प्रणय - गीत जो भटक गये थे विरह के पथ पर
उस अधूरे गीत को अब मधुरतम लय दे पाया हूं
दिल में सिर्फ तेरे इश्क में डूब जाने की चाहत है
तेरे सिवा किसी और को ना कभी चाह पाया हूं
सहज ना स्वीकार कर पाना किसी गैर को अब
दिल में बस तुम्हारे प्यार का शमां जला पाया हूं
खत्म होने को हैं आईं इंतजार की लंबी घड़ियां
बमुश्किल इन कठिनतम पलों को झेल पाया हूं
सच पूछो तो प्रसन्नता का पारावार न तनिक भी
जिस पल से तेरे रुपराशि का दीदार कर पाया हूं।