STORYMIRROR

Himanshu Mahla

Others

4  

Himanshu Mahla

Others

पूरब की अरगनी पर....

पूरब की अरगनी पर....

1 min
358

पूरब की अरगनी पर

डाल आई कुछ अहसास, 

गीले हैं ज़रा।


अरुण तनिक चढ़ने दो

समीर ज़रा बहने दो,

नम हैं अभी।


समय-चक्र चलने दो

तमस ज़रा छँटने दो,

सीले हैं तनिक।


नेह से ही संभालना 

देखना, आहत न हों,

कोमल हैं ज़रा।


समय रहते उतार लेना

हौले से पुचकार लेना,

अबोध हैं तनिक।


रह-रह धूप दिखा देना

नेह से सहला देना,

भीगें न फ़िर कभी।


अधखुले, अनसुलझे-से हैं

धीरज से सिरा खोजना,

उलझें न कहीं।

          


Rate this content
Log in