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पतझड़ के मौसम में हरियाली की चाहत है

पतझड़ के मौसम में हरियाली की चाहत है

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कुछ पाने की कोशिश में कुछ भूल जाने की चाहत है

जो अलफ़ाज़ दबे हुए थे मन में

अब उन्हें कागज़ पर उतारने की चाहत है

पहेली बनी हुई ज़िन्दगी को

थोड़ी करीब से पढ़ने की चाहत है

लिखना तो बहुत कुछ चाहती थी मैं

फिर सोचा की अभी सिर्फ इतने ही अलफ़ाज़ की चाहत है।


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