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Neha Tickoo

Others

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Neha Tickoo

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परोपकार

परोपकार

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इक लम्हे में ना तोलना

मैं तो वर्षों का परिणाम हूं,

गड़ा बीज था जो ज़मीन में,

आज पेड़ छायादार हूं।


ख़ाक से उपजा हूं मैं

और ख़ाक ही हो जाऊंगा।

सांसों से जीवन देके मैं,

दुनिया का हित कर जाऊंगा।


संस्कारों से सींचा गया,

आदर्शो के सहारे बड़ा,

कड़ी धूप में खड़ा था पर,

दूजों के लिए साया बना।


 परिस्थिति रही जैसी मगर,

 मैं अटल अडिग डटा रहा।

 उभरता रहा तूफ़ानों से,

 समय की मौजों में ना बहा।


कई थे यहां मुझसे मगर,

मुझमें अलग कुछ बात थी,

चंदन की खुशबू की तरह,

विष को थी मैंने मात दी।


मिला जो जीवन था मुझे,

ईश्वर का वह उपकार था।

मृत्यु को भी पराजित कर सका,

चूंकि साथ परोपकार था।


- नेहा तिक्कू


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