Manmeet Singh
Others
जो शख्स सबसे जुदा था, वो भीड़ सा ही निकला
नए कागज़ों में लिपटा, पुराना लिबास निकला
चेहरे का रंग बदलते वो, तो कोई गुमा ना था
जिसे चेहरा समझ रहे थे हम, वो इक नक़ाब
निकला
होता नहीं यकीं, अब उनकी किसी भी बात पर
जिसको भी सच कहा उसने, वो इक फ़रेब निकला
मुक़्क़दर
हसरत
परख