STORYMIRROR

Manmeet Singh

Others

2  

Manmeet Singh

Others

परख

परख

1 min
143

जो शख्स सबसे जुदा था, वो भीड़ सा ही निकला

नए कागज़ों में लिपटा, पुराना लिबास निकला


चेहरे का रंग बदलते वो, तो कोई गुमा ना था

जिसे चेहरा समझ रहे थे हम, वो इक नक़ाब

निकला


होता नहीं यकीं, अब उनकी किसी भी बात पर

जिसको भी सच कहा उसने, वो इक फ़रेब निकला



Rate this content
Log in

More hindi poem from Manmeet Singh