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Prasad Kopargaonkar

Others

5.0  

Prasad Kopargaonkar

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पिता

पिता

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वह गर्म हवा का झोंका है, जब आता है झुलसाता है

ऐसे ही अनायास हमको ममता का मूल्य बताता है

वो एक पिता है कोई और नहीं, जो बरसों प्यासा रह जाता है  


वह गर्म हवा का झोंका है, जब आता है झुलसाता है

लेकिन बारिश की बूंदों से, वह भी ठंडा पड़ जाता है 


कोई बारिश की बूंदे कह ले, कोई आंखों का वह नीर कहे

इन बातों को समझे वो ही, जो ऐसे मन की पीर सहे


यूं अंगारों पे चलता, वो भी शितलता चाहता है

यूं अंधियारे में जीता, वो भी उजियारे का प्यासा है


तब नन्हा सा दीपक आकर, यूं उसकी प्यास बुझाता है

खुश होता है जब अन्तिम पग पर वो दादा कहलाता है

वो एक पिता है कोई और नहीं, जो बरसों प्यासा रह जाता है  


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