फासला...!!
फासला...!!
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मीलों फासला है उस से, पर याद तो यहीं कहीं है ।।
साथ छोड़ा था उसने जहाँ, हम आज भी वहीं कहीं हैं,
डर तन्हाइयों का था मुझे, पर मैं भूल गया कि मेरी परछाई तो यहीं कहीं है,
और दगा दे गये ये भी अंधेरों में मुझे ।।
कमबख़्त उजालो कि तलाश में कौन नहीं है ,
फिर तलाश में था उसके जाने के बाद ।।
सिर्फ वहीं तक पहुँच सका जहाँ थे उसके पैरो के निशान ,
इश्क कि ही तरह ये सफर अधूरा रह गया ।।
वो सब कुछ छोड़कर आगे बढ़ गयी,
और मैं अकेला उसके यादों के साथ पीछे रह गया ....