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Neeraj Sharma

Others

2.5  

Neeraj Sharma

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शहर चला आया

शहर चला आया

1 min
203


मैं खुशी अधूरी छोड़कर शहर चला आया

गाँव के कुछ रिश्ते तोड़कर शहर में

रिश्तेदार बनाने आया

सफर गाँव से शहर का कुछ मीलों का था

पर फासला तो अपनों के दिलो से था

मेरा हर कदम अब बढ़ रहा था शहर की

तरफ

और दिल में कुछ उत्साह सा था


रौशनी शहर कि देख रखी थी मैंने

सिर्फ मीलों दूर से

और कुछ किस्से सुने थे किसी और से

यहाँ शहर पर नशा तो कुछ और ही था

चल रहा था सैकड़ों कि भीड़ में फिर

भी मैं अकेला ही था


गाँव के अंधेरों में भी साया था अपनों

इस शहर के रौशनी में भी मुझे खो

जाने का डर था

मैं गाँव मे अपने मिट्टी के आशियाने को

छोड़कर शहर के बड़ी इमारतों में

कैद होने आया

मैं अपना सब कुछ छोड़कर शहर

चला आया ...मैं शहर चला आया.....



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