ओ री चँदनिया !
ओ री चँदनिया !
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे |
चंदा से भी पूछा मैंने, तारों को भी रोका; उड़ते चकोर से पता तेरा पूछा |
कोई कहे सपना है तू, कोई कहे धोखा; किसी की ना मानी मैंने, आँसुओं को पोंछा |
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे |
फूलों का पलंग है मेरा, सपनों की है चादर; बदली सा झूमता है मेरी माँ का आँचल |
धीमे-धीमे हौले-हौले पवन हिचकौले, चंदा की कहानी संग नींद डाले डोरे |
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे |
कहाँ तू चली गई है किसने तुझे रोका, बदली के पीछे मैंने चंदा को था देखा |
मेरे सपनों में पंख लगाके, मेरी आँखों में रैन बसा के, तूने कोई जादू किया रे |
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे |
छोटे-छोटे हाथ है मेरे, बड़ी बड़ी बातें, तुझ बिन अधूरी मेरी बचपन की रातें |
माना तू है चंदा की प्यारी दुल्हनिया, कल नहीं सोऊँगा तुझे देख बिन चँदनिया |
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे |
ओ री चँदनिया , निंदिया में आकर, तू ना जाना रे |
तेरी यादों में, पलकें बिछाऐ सदियों से मैं जागा रे!!!
