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Mahavir Uttranchali

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Mahavir Uttranchali

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निर्भया को न्याय पर 3 कुण्डलिय

निर्भया को न्याय पर 3 कुण्डलिय

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(१)

आशा देवी रो पड़ी, रोये बद्रीनाथ

बिटिया तेरी मौत ने, किया कुठाराघात 

किया कुठाराघात, ज़ालिमों ने तड़पाया

सात बरस के बाद, न्याय बेटी ने पाया

महावीर कविराय, हर क़दम मिली निराशा

क़ानूनी षड्यंत्र, अडिग रही मगर आशा


(२)

निर्भया बीस मार्च को, मिला तुझे इन्साफ़

निर्लज्ज क्रूर-कातिलों, कैसे करते माफ़

कैसे करते माफ़, याद कर वो दरिन्दगी

पूरी नारी जाति, भुगत रही शर्मिन्दगी

महावीर कविराय, घड़ा पाप का भर गया

सात साल के बाद, मिल गया न्याय निर्भया


(३.)

आख़िर फ़ांसी चढ़ गए, चारों ज़ालिम क्रूर

उस मक्कार वक़ील का, टूटा आज गुरूर

टूटा आज गुरूर, नाम ए.पी. सिंह उसका

झूठा तिकड़मबाज़, सगा ना कोई जिसका

महावीर कविराय, बड़ा था ए.पी. शातिर

विफल समस्त प्रयास, चढ़ गए फ़ांसी आख़िर



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