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Haryax Pathak

Others

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Haryax Pathak

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नीला ये आसमान

नीला ये आसमान

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नीला ये आसमान, सूरज ढलते ही

लहू सा हो गया,

साथ अपने, वो मुझे उठा ले चला।


हवाओं में एक अजीब सा सन्नाटा

था छाया हुआ,

ना जाने क्यूं, कुछ सुनाने को तरस

रहा था,

वहीं ठहरा रहा, मैं सोचता रहा,

लम्हा यूहीं बस, गुज़र गया।


अंधेरों में था मैं, खोया हुआ, भटकता

हुआ,

आँखों को जैसे परदों ने लपेटा हो,

फासलों में डूबता चला, मैं बह गया।


शीशे में दरारें थी, या परछाई में मेरी,

परिंदों की गुनगुनाहट में, दिखे सिर्फ

मुझे, तनहाई मेरी।


जितनी शिद्दत से मैने अपने आप को है बनाया,

मन ही मन, खुद को कितना है सताया,

गुस्ताखियों की बुनियाद पर है बनी,

हुस्न की ये इमारत मेरी।


नीला ये आसमान, सूरज ढलते ही लहू

सा हो गया,

साथ अपने, वो मुझे उठा ले चला।


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