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मुझको कहना है ये आज तुमसे प्रिये

मुझको कहना है ये आज तुमसे प्रिये

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मुझको कहना है ये आज तुमसे प्रिये,

बिन तुम्हारे यूँ जीना ही बेकार है

फूल पत्थर हुए जो ना तुमने छुए, 
मन के भवंरे का गुंजन भी बेसार हैं ॥

जन्म जन्मान्तरों की तू अरदास है,
जैसे प्यासे पपीहे की तू प्यास है

तुमसा केवट मिले मेरी नैय्या चले, 
एक बस्ती किनारे के उस पार है

मैं हूँ दिन आओ मुझसे निशा सी मिलो, 
भटका राही हूँ मुझसे दिशा सी मिलो

जब खिली चांदनी तुम लगी कामिनी,
खिल उठा तेरी खुशबू से संसार है ॥


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