मुझ को ऐसी चाहिए..
मुझ को ऐसी चाहिए..
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
देखने सुनने में मद भरी चाहिए,
घर बाहर के कामों में कड़ी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
एक ही पल में वो बचपने को छोड़ के,
हर जरूरत का खयाल हर एक की रखे,
वक्त पड़े तो माँ, बहन, देवी भी हो सके,
उम्र में हो बराबर, पर जी कहना चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
घर के कोने-कोने को संभाल कर रखे,
बाहर के कामों में भी वो कमाल कर सके,
मुसीबतों में हो सके तो ढाल बन सके,
हर एक चुनौतियों में वो खरी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
फाइव स्टार जैसा खाना बना सके
घर का इंटीरियर भी चुटकियों में सजा सके
उसपे ये भी है कि वो पैसे बचा सके,
चाँदनी में धूप सुनहरी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
लुक्स में हो स्मार्ट ऐजुकेशन भी हाई हो,
नौकरी करे और मोटी कमाई हो,
घर में आके काम में जुटी सी बाई हो,
उस पे मुस्कुराती हर घड़ी चाहिए,
मिट्टी के शहज़ादों को लौह परी चाहिए
करें वो सबका मान, करें मेरे घर का खूब सम्मान
रूप रंग मे भी वो हीरोइन इनको चाहिए
दे कर सब मान, सहे खुद का अपमान
कहे जो कुछ देख, होता गलत
तो फिर तो उन्हें 'गूंगी', 'बहरी ' चाहिए
मिट्टी के शहजादों को लौह परी चाहिए
दे कर घर परिवार, कपड़े और साजो सामान
कह देते हैं तुम को और क्या चाहिए
रहो इसे ही तुम दर ब दर, क्या नया हैं इस रीवाज में
रही तो हैं संस्कारी औरतें इस तरह के हर अत्याचार में
कहने को सब दिया तुम को, अब क्या 'सम्मान 'भी चाहिए?
मिट्टी के शहजादों को लोह परी चाहिए।