STORYMIRROR

मृत्यु

मृत्यु

1 min
409


चाहे हो भूमण्डल का शासक,

या कोई निरीह प्राणी हो।

या हो कोई हमारे जैसा,

या कोई परम ज्ञानी हो।

जान ले इस धरा,

मृत्यु पर विजय किसी ने पायी नहीं।

इससे बड़ा न सत्य कोई,

फिर भी कीर्ति इसकी छायी नहीं।

मृत्यु है सुन्दर सी देवी,

जिसको तू भी गुणगान कर।

मत बना इसका भयावह,

इसका भी सम्मान कर।

संघर्ष तो है जीवन,

मृत्यु कहाँ संघर्ष है।

ये तो है परम निद्रा,

ये ही तो परम हर्ष है।

चाहे हो फूलों की सुगंध,

या कोई तूफान है।

अंत सबका है सुनिश्चित,

यही परम ज्ञान है।

‘‘जान ले हे मानुष,

इस धरा पर वक्त से बड़ा कोई नहीं।

ये रात्रि भी है सबको सुलाती,

खुद कभी सोई नहीं।’’


Rate this content
Log in