मॉ
मॉ
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आज कलम हाथ में है
पर दिल दिमाग साथ में नहीं
आज मां तुम्हारा दिन है
पर तुम ही पास में नहीं।
तुम्हें शुक्रिया कहना है
हर उस दिन का,
हर उस पल का,
हर उस दुआ का,
हर उस डांट का,
फटकार का,
प्यार का,
जो तुमसे मिला
जो तुमसे सीखा।
पर सोचती हूँ शुक्रिया तो केवल एक शब्द है
तुम्हारे एहसानों का तो मुझ पे बहुत बड़ा कर्ज़ है
मां एक स्वर्ग जैसा एहसास है
मां नहीं तो इस दुनिया में कुछ भी नहीं खास है।