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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

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नमस्कार भारत नमस्ते@ संजीव कुमार मुर्मू

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मोह माया छोड़

मोह माया छोड़

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मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !


संभव ईश्वर दर्शन 

करना यत्न यदि 

पहुंचे ईश्वर समीप

हो मुक्त पूर्वाग्रह


मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !


भुलाये पूर्व संस्कार

घृणा लज्जा कुल

शील भय मान

जाति और अभिमान


मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !


आठों बंधन हैं मात्र

आत्मा पाश समान

सम्मुख ईश्वर समीप 

मुक्त हो आठों पाश


मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !


यज्ञोपवित जाति कुल

सूचक अभिमान प्रतीक

यह भी पाश समान


मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !


धन संपदा मात्र मिट्टी

नहीं अधिक कुछ 

कामिनी कंचन भी

ईश्वर प्राप्ति बड़ी बाधक


मोह माया छोड़

सारे धर्म सच्चे

नहीं भिन्नता कोई

पहुंचने ईश्वर तक

साधन भिन्न भिन्न

करें ऐसा विश्वास !



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