महाबीर
महाबीर
जन्म जीवन मृत्यु
काल चक्र की गति
सापेक्ष या कर्म धर्म
का परिणाम शरीर प्राण।।
प्राणी प्राण संबंधों
की गति काल या कर्म
फल पुरस्कार जीवन
मूल्यों का आविष्कार
मानव शरीर मे परम्
शक्ति सत्ता का अवतार।।
काल होता जब बेहाल
युग अन्याय अत्याचार
क्रूर क्रूरता से आहत
लहूलुहान ।।
कर्तव्य दायित्व बोध
का निर्बहन करने स्वयं
आता भगवान।।
साधारण मानव शरीर
धारण करता युग को
मार्ग दिखाता सत्यर्थ।।
महाबीर भी सिर्फ तीर्थंकर नही
आत्मा की परम यात्रा के परमात्मा
कृष्णा ने किया
जब अविनि युग का त्याग।।
शासन सत्ता धर्म विमुख
जीव जीव का शत्रु
जीवात्मा में परमात्मा अंश
को युग मानव ने दिया नकार।।
धर्म धंधा बन गया
आराधना में सुनाई देती
आत्मा की चीत्कार
महाबीर का अवतरण
युग मे मानव तन में
असाधारण परिवेश परिस्थिति
में युग मानव का मार्गदर्शक
भगवान महाबीर का अवतरण।।
सिद्धार्थ त्रिशाला की संतान
कुंडलपग्राम इक्ष्वाकु वंश
अभिमान।।
मात्र तीन वर्ष की आयु
जगत मोह से बैराग्य
छोड़ दिया घर परिवार
समाज।।
अहिंसा अपरिग्रह अनेकान्तवाद
मानवता कल्याण के दिये सिद्धान्त
महाबीर युग प्रवर्तक युग चेतना
मौलिक महत्व काल प्रवाह महान।।