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Shipra Khanna

Others

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Shipra Khanna

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मेरी धरा

मेरी धरा

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मधुर वाणी झलकती है,

संस्कार उपजे इसी धरती से,

कुदरत भी यहीं समाई है।

अमृत छलका इस भूमि पर

प्रेम की गंगा बहती इस पर,

है गर्व हमें, इसकी संतान हैं हम

खातिर इसकी कुछ भी कर जाएं,

वीरों की धरा है, ये,

धीरों की धरा है ये।

शक्ति यहाँ समाई है,

विद्या का भण्डार यहाँ,

कर्म भूमि है देश मेरा,

है कोटि कोटि नमन मेरा,

इस देश की महान भूमि को।


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